Gulzar Shayari
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Gulzar Shayari |
Gulzar shayari in hindi
इतना क्यों सिखाये
जा रही है ज़िन्दगी
हमें कौन सी सदियाँ
गुज़ारनी है यहाँ
Itna Kio sikhaye
jaa rhi h Zindagi
Hume kaun si sadiyan
Gujarni h yahan
हँसता तो मैं रोज़ हूँ
मगर खुश हुए ज़माना हो गया
बहुत मुश्किल से करता हु
तेरी यादों का कारोबार
माना मुनाफा कम है
पर गुज़ारा हो जाता है
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gulzar hindi shayari |
लोग कहते है की
खुश रहो
मगर मजाल है
की रहने दे
मिलता तो बहुत कुछ है
ज़िन्दगी में
बस हम गिनती उन्ही की
करते है जो हासिल न हो सका
दिन कुछ ऐसे गुजारता है कोई
जैसे एहसान उतारता है कोई
सहम सी गयी है
ख्वाइशे
ज़रूरतों ने शायद उन से
ऊँची आवाज़ में बात की होगी
गुलाम थे तो
हम सब हिंदुस्तानी थे
आज़ादी ने हमें
हिन्दू मुसलमान बना दिया
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Gulzar best hindi shayari
कौन कहता है की
हम झूठ नहीं बोलते
एक बार तुम खेरियत
पूछ कर तो देखो
वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी
वो नफ़रत भी तुम्हारी थी
हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे मांगते
वो शहर भी तुम्हारा था
वो अदालत भी तुम्हारी थी
तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई
शिकवा तो नहीं
तेरे बिना पर ज़िन्दगी भी लेकिन
ज़िन्दगी तो नहीं
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gulzar images |
गए थे सोचकर की बात
बचपन की होगी
मगर दोस्त मुझे अपनी
तरक्की सुनाने लगे
याद आएगी हर रोज़ मगर
तुझे आवाज़ ना दूँगा
लिखूँगा तेरे ही लिए हर ग़ज़ल
मगर तेरा नाम ना लूँगा
उम्र जाया कर दी लोगो ने
औरों में नुक्स निकालते निकालते
इतना खुद को तराशा होता
तो फरिश्ते बन जाते
मैं हर रात ख्वाईशो को
खुद से पहले सुला देता हु
हैरत यह है की हर सुबह
ये मुझसे पहले जग जाती है
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